Aasma ka kwab rakho...

Santhosh Poojary (SIEMPRE AHÍ PARA TI) (15607 Points)

08 October 2014  

 

रहो जमीं पे मगर आसमां का ख्वाब रखो
तुम अपनी सोच को हर वक्त लाजवाब रखो

खड़े न हो सको इतना न सर झुकाओ कभी
तुम अपने हाथ में किरदार की किताब रखो

 
उभर रहा जो सूरज तो धूप निकलेगी
उजालों में रहो मत धुंध का हिसाब रखो

मिले तो ऐसे कि कोई न भूल पाये तुम्हें
महक वंफा की रखो और बेहिसाब रखो.....