Easy Office

Maa

Page no : 8

(Guest)

हादसों की गर्द से ख़ुद को बचाने के लिए

माँ ! हम अपने साथ बस तेरी दुआ ले जायेंगे


हवा उड़ाए लिए जा रही है हर चादर

पुराने लोग सभी इन्तेक़ाल करने लगे


ऐ ख़ुदा ! फूल —से बच्चों की हिफ़ाज़त करना

मुफ़लिसी चाह रही है मेरे घर में रहना


हमें हरीफ़ों की तादाद क्यों बताते हो

हमारे साथ भी बेटा जवान रहता है


ख़ुद को इस भीड़ में तन्हा नहीं होने देंगे

माँ तुझे हम अभी बूढ़ा नहीं होने देंगे


जब भी देखा मेरे किरदार पे धब्बा कोई

देर तक बैठ के तन्हाई में रोया कोई


ख़ुदा करे कि उम्मीदों के हाथ पीले हों

अभी तलक तो गुज़ारी है इद्दतों की तरह


घर की दहलीज़ पे रौशन हैं वो बुझती आँखें

मुझको मत रोक मुझे लौट के घर जाना है


यहीं रहूँगा कहीं उम्र भर न जाउँगा

ज़मीन माँ है इसे छोड़ कर न जाऊँगा


स्टेशन से वापस आकर बूढ़ी आँखें सोचती हैं

पत्ते देहाती रहते हैं फल शहरी हो जाते हैं

रचनाकार: मुनव्वर राना




(Guest)

अब देखिये कौम आए जनाज़े को उठाने

यूँ तार तो मेरे सभी बेटों को मिलेगा


अब अँधेरा मुस्तक़िल रहता है इस दहलीज़ पर

जो हमारी मुन्तज़िर रहती थीं आँखें बुझ गईं


अगर किसी की दुआ में असर नहीं होता

तो मेरे पास से क्यों तीर आ के लौट गया


अभी ज़िन्दा है माँ मेरी मुझे कु्छ भी नहीं होगा

मैं जब घर से निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है


कहीं बे्नूर न हो जायें वो बूढ़ी आँखें

घर में डरते थे ख़बर भी मेरे भाई देते


क्या जाने कहाँ होते मेरे फूल-से बच्चे

विरसे में अगर माँ की दुआ भी नहीं मिलती


कुछ नहीं होगा तो आँचल में छुपा लेगी मुझे

माँ कभी सर पे खुली छत नहीं रहने देगी


क़दमों में ला के डाल दीं सब नेमतें मगर

सौतेली माँ को बच्चे से नफ़रत वही रही


धँसती हुई क़ब्रों की तरफ़ देख लिया था

माँ बाप के चेहरों मी तरफ़ देख लिया था


कोई दुखी हो कभी कहना नहीं पड़ता उससे

 

वो ज़रूरत को तलबगार से पहचानता है

रचनाकार: मुनव्वर राना



(Guest)

किसी को देख कर रोते हुए हँसना नहीं अच्छा

ये वो आँसू हैं जिनसे तख़्ते—सुल्तानी पलटता है


दिन भर की मशक़्क़त से बदन चूर है लेकिन

माँ ने मुझे देखा तो थकन भूल गई है


दुआएँ माँ की पहुँचाने को मीलों मील जाती हैं

कि जब परदेस जाने के लिए बेटा निकलता है


दिया है माँ ने मुझे दूध भी वज़ू करके

महाज़े-जंग से मैं लौट कर न जाऊँगा


खिलौनों की तरफ़ बच्चे को माँ जाने नहीं देती

मगर आगे खिलौनों की दुकाँ जाने नहीं देती


दिखाते हैं पड़ोसी मुल्क आँखें तो दिखाने दो

कहीं बच्चों के बोसे से भी माँ का गाल कटता है


बहन का प्यार माँ की मामता दो चीखती आँखें

यही तोहफ़े थे वो जिनको मैं अक्सर याद करता था


बरबाद कर दिया हमें परदेस ने मगर

माँ सबसे कह रही है कि बेटा मज़े में है


बड़ी बेचारगी से लौटती बारात तकते हैं

बहादुर हो के भी मजबूर होते हैं दुल्हन वाले


खाने की चीज़ें माँ ने जो भेजी हैं गाँव से

बासी भी हो गई हैं तो लज़्ज़त वही रही

रचनाकार: मुनव्वर राना



(Guest)

मेरा बचपन था मेरा घर था खिलौने थे मेरे

सर पे माँ बाप का साया भी ग़ज़ल जैसा था


मुक़द्दस मुस्कुराहट माँ के होंठों पर लरज़ती है

किसी बच्चे का जब पहला सिपारा ख़त्म होता है


मैं वो मेले में भटकता हुआ इक बच्चा हूँ

जिसके माँ बाप को रोते हुए मर जाना है


मिलता—जुलता हैं सभी माँओं से माँ का चेहरा

गुरूद्वारे की भी दीवार न गिरने पाये


मैंने कल शब चाहतों की सब किताबें फाड़ दीं

सिर्फ़ इक काग़ज़ पे लिक्खा लफ़्ज़—ए—माँ रहने दिया


घेर लेने को मुझे जब भी बलाएँ आ गईं

ढाल बन कर सामने माँ की दुआएँ आ गईं


मैदान छोड़ देने स्र मैं बच तो जाऊँगा

लेकिन जो ये ख़बर मेरी माँ तक पहुँच गई


‘मुनव्वर’! माँ के आगे यूँ कभी खुल कर नहीं रोना

जहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नहीं होती


मिट्टी लिपट—लिपट गई पैरों से इसलिए

तैयार हो के भी कभी हिजरत न कर सके


मुफ़्लिसी ! बच्चे को रोने नहीं देना वरना

एक आँसू भरे बाज़ार को खा जाएगा

रचनाकार: मुनव्वर राना



(Guest)
 

She

 

 

One or two

 

hours pass by

 

without a single word with her

 

though I'm on her lap.

 

 

Three or four

 

days we don't speak to each other

 

not for any reason n @ times for silly reasons.

 

 

Five or six

 

Times a day

 

I do tel her.I Love U J

 

 

Seven or eight

 

people are good friends of mine

 

 

but

 
She made the difference
She means a lot to me,
She gave me life,
She symbolizes trust,
She is the world to me,
And

She is "My Mother".


Â


U SWEET ANGEL





Amee Shah Doshi (Professional) (40 Points)
Replied 28 June 2010

maa tuje salam


Rajesh (Service ) (7576 Points)
Replied 02 February 2013

Every Mom’s advice to her son ………..





1960’s Mom to her son— beta, apne caste ki ladki

se hi shaadi karna



1970’s…………………….. Apne religion ki



1980’s ……………………. Apne level ki



1990’s ……………………. Apne desh ki



2000 ……………………. Apni umar ki

.

.

.

.



2009 AFTER WATCHING DOSTANA
……………………. Koi bhi ho,

Par Beta Ladki se hi karna….…..….. !!!

KYUNKI
MAA DA LADLA VIGARD GAYA

HE HE HE


PREETI BEDI (ARTICLE IN JALANDHAR) (278 Points)
Replied 02 February 2013

hahahhhahahahahahahhahahhaha ri88888 bro.............reallyyyy funny.........laugh


Rajesh (Service ) (7576 Points)
Replied 02 February 2013

Originally posted by : preeti kaur bedi

hahahhhahahahahahahhahahhaha ri88888 bro.............reallyyyy funny.........

 

Just go through this thread since begining.... this is a great post on mother



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