we do not want job-please leave me i want to do study

IPCC 993 views 2 replies

 

नहीं चाहिए नौकरी...पढ़ने दो
नहीं चाहिए नौकरी...पढ़ने दो

लीजा मेरी थॉमसन



नई दिल्ली: मालूम होता है कि मंदी के दौरान ग्रेजुएट हुए छात्र अकेले नहीं थे, जिन्होंने देश के प्रतिष्ठित बिजनेस स्कूल भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) में किस्मत आजमाने के लिए नौकरी नहीं करने का फैसला किया था।



उन्हें ऐसे अनुभवी खिलाडि़यों ने शिकस्त दी है, जिन्हें भारतीय उद्योग जगत का अच्छा-खासा अनुभव हासिल था। आगे जानें क्या है नौकीपेशा और फ्रेश IIM पोस्ट ग्रेजूएट कोर्स में दाखिला लेने वाले छात्रों का...

भई वाह...दाखिले के लिए 20 लाख का पैकेज ठुकराया!
भई वाह...दाखिले के लिए 20 लाख का पैकेज ठुकराया!

वास्तव में अहमदाबाद, बंगलुरु, कलकत्ता और लखनऊ के आईआईएम में पोस्ट ग्रेजुटए प्रोग्राम में दाखिला लेने वाले लोगों में से करीब 70 फीसदी ऐसे थे, जिन्हें इंडिया इंक में काम करने का अनुभव था। इनमें से कुछ आईआईएम के लिए इस हद तक दीवानगी रखते थे कि उन्होंने इन प्रतिष्ठित बी-स्कूल में दाखिला लेने के लिए 20 लाख रुपए तक के सालाना पैकेज ठुकरा दिए।



पश्चिमी मुल्कों के शैक्षणिक तंत्र में कामकाजी लोगों का अध्ययन की ओर लौटना एक सामान्य बात है, लेकिन इस बार आईआईएम-लखनऊ में इसकी बानगी दिखी, जहां 345 छात्रों के मौजूदा बैच में से 93 फीसदी नौकरी का अनुभव रखते हैं। वास्वत में, इनमें से 150 सदस्यों ने कॉरपोरेट वर्कफोर्स के अंश के तौर पर तीन साल से ज्यादा वक्त गुजारा है। यह स्थिति 2007 के बैच से काफी अलग है, जिसमें 242 लोगों के बैच में से केवल 50 फीसदी कामकाजी अनुभव रखते थे और केवल नौ लोगों ने तीन साल से ज्यादा काम किया था। आगे जानें क्या फर्क पड़ता है क्लासरूम टीचिं पर जब स्टूडेंट होते हैं प्रोफेशनल्स...

क्लासरूम टीचिंग को भी मिलता है नया नजरिया...
क्लासरूम टीचिंग को भी मिलता है नया नजरिया...

वास्तव में, आईआईएम में अनुभवी छात्रों की आमद का स्वागत किया जा रहा है, क्योंकि वे नौकरी के दौरान उनके सामने आने वाले मुद्दे और मुश्किलें, क्लासरूम टीचिंग में एक अलग नजरिए का इंतजाम करती हैं। 



आईआईएम लखनऊ में पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम इन मैनेजमेंट (पीजीपी) के चेयरमैन प्रोफेसर मनोज प्रधान ने कहा, 'कक्षा में अनुभवी छात्रों की मौजूदगी काफी मदद देती है, क्योंकि वे बेहतर तरीके से सिद्धांत को व्यावहारिकता से जोड़ सकते हैं और इससे सीखने में सहूलियत होती है।'आगे जानें कितना एक्सपीरिएंस लेकर पढ़ाई

 

करने लौटे प्रोफेशनल्स

 

सालों के वर्क-एक्सपीरिएंस के बाद पढ़ाई का चस्का!
सालों के वर्क-एक्सपीरिएंस के बाद पढ़ाई का चस्का!

आईआईएम लखनऊ में जहां अनुभवी छात्रों की तादाद ज्यादा है, वहीं आईआईएम-बंगलुरु में छात्रों के कामकाजी अनुभव का स्तर काफी अधिक है। 354 के बैच में से करीब 68 छात्रों ने तीन साल से ज्यादा काम किया है और 31 के कामकाजी अनुभव की मियाद चार साल से भी ज्यादा है। 2009 में दाखिल लेने वाले बैच में से 68 फीसदी अनुभवी एग्जिक्यूटिव हैं।



इस बीच, आईआईएम-कलकत्ता के 408 छात्रों के नए बैच का औसत कामकाजी अनुभव करीब 27 महीने है। आगे जानें नए बैच में क्या है रेश्यो..

नए बैच में 63% कामकाजी
नए बैच में 63% कामकाजी

नए बैच का 63 फीसदी हिस्सा इंडिया इंक के लिए काम कर चुका है, जबकि 2008 के बैच में ऐसे केवल 57 फीसदी छात्र थे। वास्तव में आईआईएम कलकत्ता के प्रवक्ता रोहन महाजन इस चलन का श्रेय मंदी को देते हैं। उनका कहना है कि लोग इस वक्त का फायदा अपनी कुशलता में और निखार लाने के लिए उठाना चाहते हैं, ताकि अर्थव्यवस्था में रिकवरी होने पर वह इसका लाभ ले सकें।



दिलचस्प है कि मौजूदा बैच के 20 से ज्यादा छात्र कंपनियों में से 20 लाख रुपए से ज्यादा सालाना पैकेज ले रहे थे, लेकिन आईआईएम में दाखिला लेने की चाहत की वजह से उन्हें इसे नजरअंदाज करने में जरा भी मुश्किल नहीं हुई। 

.

...

Replies (2)

Thanks for sharing

Thanks for sharing.


CCI Pro

Leave a Reply

Your are not logged in . Please login to post replies

Click here to Login / Register