Unlisted language in India having 13.2 million speakers...

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The Marwari language (mārwāṛī; also variously Marvari, Marwadi, Marvadi) is spoken in the Indian state of Rajasthan, but is also found in the neighboring state of Gujarat and in Eastern Pakistan. With some 13.2 million speakers (as of 1997, ca. 13 million in India and 200,000 in Pakistan) it is the largest of the Marwari subgroup of the "Rajasthani cluster" of Western dialects of Hindustani. It is written with the Devanagari scriptt, as is Hindi. Marwari currently has no official status as a language of education and government. There has been a push in the recent past for the national government to recognize this language and give it a scheduled status. The state of Rajasthan recognizes Rajasthani as a language. In Pakistan, there are two varieties of Marwari. They may or may not be close enough to Indian Marwari to be considered the same language. The Marwari language was used in the recent Indian movie, Paheli, where it was mixed with Hindi so it is understandable to the main stream audience. Marwari is still spoken widely in and around Jodhpur. Closely related languages to Marwari in the Rajasthani cluster are: Gojri, Shekhawati, Hadoti, Dhundhari, Mewari, Brij, Bagri, Wagri, Mewati, and others. There are ongoing efforts to identify and classify this language cluster and the language differences.

Jai Ram ji Ki

**DM

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JAI RAAM JI KI BAIJI

MARWARI LANGUAGE SHOULD BE RECOGNISED BY THE CONSTITUTION

There are similar such languages like Tulu, konkani etc., I suppose!

भाई लोगां ने म्‍हारा घणे मान सूं राम राम...
बोळा दिना होग्‍या किं लिखण रो मन बणाउ हूं पण बात नाके नी आ री है तो आज सोचियो के क्‍यूं कोनी आज भायां रे साथे बीकानेर जिले रे देशनोक करणीमाता रे मन्दिर रा दर्शण कर लिया जावे, इण बात ने सोच अर म्‍हे आज आप लोगां रे वास्‍ते करणीमाता रे दर्शणां री तैयारी करी हां आशा है आपरो हेत म्‍हारे हिवडे आवेला तो चालो करणीमाता रा दर्शण करबा चालां।
करणीमाता रो मन्दिर उन्‍दरा (काबा) वाळी माता रे नाम सूं पूरे संसार मं ओळखीजे, ओ मन्दिर बीकानेर सूं 30 किलोमीटर राष्‍ट्रीय राजमार्ग 89 पर नागौर जिले खानी जावण वाळी सडक पर है, बीकानेर सूं चालां जणा 30-35 मीनटां में माताजी रा मन्दिर आ सकां हां। माताजी रा मन्दिर रा मुख दरवाजा पर एकांखानी तो एक सिंघणी अर दूजीखानी सिंघ बैठा है दूर सूं देखा जणे इंया लागे है जियां संगमरमर का भाटा मं जींवता सिंघ'-सिंघणी है, अबार हिलसी, उठ जासी, दहाडसी। इणरे बाद अब आप देखो इण मन्दिर रो मुख दरवाजो बीयां तो ओ मन्दिर एक किले री सूरत मं बण्‍योडो है अर इणरे मुख दरवाजे री भींत पर संगमरमर की अत्‍ती जबरदस्‍त कारीगरी है के आप जितरा गौर सूं इण भींत ने देखो ला इण संगमरमर रे भाटे माथे करियोडी कारीगरी मं नई नई बेलां, जिनावर, फूल अर पत्तियां निजरां मं आसी। अ ब आप चालो माताजी रा मन्दिर रे मांय सीधा ही निज मन्दिर माताजी री मूर्ति रे सामने आप खड्या हो माताजी रो निज मन्दिर बीना गारो लगायोडा पहाडी भाटां रो बणियोडो है ए भाटा एक माथे एक इयां ही चिणियोडा है बिण मं माताजी री मूर्ति बिराजमान है चोफेर काबा (चुहे) निजर आसी घणाई काबा दूध पी रया हे अर घणाई एक दूसरे रे लारीने भागता निजर आ जासी अरे रे डरो मति ए काबा मिनखां र माथे कोनी चढे इण काबां ने घणाई भगत आवे जका लाडू चढावे, दूध चढावे इण मन्दिर मायं इतरा काबा है के संसार रा बडा बडा विज्ञानी आ देखण ताईं आवे के इतरा काबां रे होतां इण मन्दिर मं या इण गांव मं प्लेग जेडी बीमारी क्‍यूं कोनी होवे है। अ ब आओ फेरी मं चालां चारां खानी काबा ई काबा निजर आवे माताजी रे फेरी देणी है तो थोडा आराम सूं आपरा पगां ने जमीन पर रगडता चालो कठई कोई काबो पगां मं आयगो तो चांदी रो काबो चढावणो पड जाव गो। इण काबां मं एक दो धोळा काबा भी है पण बे काबा तकदीरां वाळा भगतां ने ही निजर आवे जिण भगत ने धोळा काबा रा दर्शण हो जावे, आ कैबत है क बिण भगत ने माताजी रो आर्शिवाद मिल जावे अर माताजी रा मन्दिर रे गुम्‍बद माथे चील दिख जावे तो जाणजो थे कोई गढ जीतण री तैयारी मं जा रया हो तो थांरी जीत कोई टाळ नी सके। अ ब आपां मन्दिर सूं बारला चोक मं आया हां तो सामां डावा हाथ खानी माताजी रो रसोवडो इण रसोवडा मं दो कडाव पड्या है जकां मायं एक मं तो 40 मण सीरो अर एक मं 60 मण सीरो ए क साथ रांध सकां इतरा बडा कडाव है। इण कडावां रो काम तो साल मं एक आध वार ही पड जद कोई सेठ-साउकार माताजी री परसादी करे। इण प्रकार सूं आप करणीमाताजी रा दर्शण कर न बा र आया तो आपरी बस तैयार खडी आप न उडीक रई है।

बोलो करणीमाता री जै।

अग्गम बुद्धि बांणियौ, पिच्छम बुद्धि जाट।
तुरत बुद्धि तुरकड़ो, बांमण सम्पट पाट॥

बातां रीझै बांणियौ, रागां सूं रजपूत।
बांमण रीझै ळाड़वां, बाकळ रीझै भूत॥

जंगळ जाट न छोड़िये, हाटां बिचै किराड़।
रंघड़ कदैयन छोड़िये, जद तद करै बिगाड़॥

बींद मरौ बींदणी मरौ, बांमण रै टक्कौ त्यार।
ठाकर ग्या ठग रिया, रिया मुळक रा चोर॥

आजादी मिळ्यां पछै 30 मार्च 1949 रे दिन राजपुताना री सगळी रियासतां नै एकठ कर जिण राजस्थान प्रांत रौ गठण व्हियौ, उणरै साथै सगळां सूं म्होठी विडंबना रह्‌यी कै उणरा रैवास्यां नै आपरै काम-काज, विकास अर राज रै साथै संचार-संवाद सारू आपरी मायड़भासा (मातृभाषा) नै बरतण रौ इधकार अर सुविधा नीं हासल व्ही. वां नै आ समझावण री कोसीस करीजी कै शिक्षा, विकास अर राज-काज मांय आपरी भागीदारी बधावण सारू वां नै बेगी-सूं-बेगी उण संपरक भासा नै अंगीकार कर लेवणी चाईजै, जिणरौ राष्ट्रभासा रै रूप मांय पुरौ आव-आदर करै अर उण नै आगै बधावै, पण उणमांय वां री मायड़भासा कठै आड़ी आवै अर उणसूं विकास में कठै फांटौ पड़ै, इण बात रौ उथळौ वां नै किणी नीं दियौ. वांनै इण बात रौ ईं गाढौ अफसोस रह्‌यौ कै वां अंग्रेजी हकूमत अर देसी राजावां सूं लड़ती बगत अर आपरी जीवारी सारू जिण भासा माथै अथाग भरौसो राख्यौ - वांरौ इतिहास, संस्क्रती, रीत-रिवाज, साहित, गीत-संगीत, बिणज-बौपार अर चिट्टी-पत्री सगळौ-कीं परी उणी भासा मांय संज आवतौ, वा भासा आजादी मिळतां ईं रातू-रात राज री निजर मांय इत्ती अकारथ अर अणखावणी किण भांत व्हेगी? नुंवै राज री इण नीती रौ म्यानौ भला कुण बूझतौ अर किण सूं बूझतौ, जद फैसलौ लेवण वाळां मांय वां रा ई आगीवाण भेळौ हूंकार भरियौ व्है? राजस्थान री सगळी बोलियां रै रुप-गुणां रै मेळ सूं बण्योड़ी राजस्थानी भासा रै मानक सरूप रौ बैवार सन्‌ 1857 री लड़ाई सूं ई मोकळा बरस पैली सूं अठा रै साहित अर कळा-रूपां मांय बखूबी देखण नै मिळै अर उणी मानक सरूप मांय लिख्योड़ै अथाग साहित अर दूजा कळा-रूप राजस्थानी री लूंठी विरासत मानिजै. उण विरासत माथै राज ई मोकौ आया घणौ गुमेज दरसावै पण उणरी मान्यता रौ सवाल सामी आवता ई जाणै क्यूं राज री सगळी कारवायां मौळी पड़ जावै. 
 
आजादी मिळ्यां पछै जिग्यां-जिग्यां टाबरां री स्कूलां खुली. हरेक हलकै अर टाबर आपरै घर-गवाड़ मांय मारवाड़ी, मेवाड़ी, ढूंढाड़ी, हाड़ोती, वागड़ी, मेवाती, माळवी क ब्रज बोलता (ब्रज टाळ ए सगळी राजस्थानी री बोलीयां है, ज्यूं हरेक समर्थ भासा मांय व्हिया करै), पण स्कूली भणाई तौ हिन्दी-अग्रेजी मांय ई व्हैती, वांनै राजस्थानी रै मानक सरूप री ओळख कुण करावतौ? बड़ा स्‍हैरा मांय तौ स्कूलां टाळ हिन्दी नै ई कुण पुछै?
 
ऎड़ा हालात मांय जद प्रदेस री नुंवी पीढ़ी स्कूल-कोलेजां सूं बारै आय आपरौ आपौ संभाळियौ अर खुद री पिछाण बाबत विचार करणौ सरू कर्‌यौ तौ वा एक अजब दुविधा मांय पजगी. वांरौ समाजू ढांचौ, परिवेस, रीत-रिवाज सैं कि तौ मायड़ भासा मांय ही, पण राज-काज, भणतर अर खुद रै कमतर-करोबार स्सौ कीं हिन्दी कै अंग्रेजी मांय पार पड़तौ. जिका इणमें पैली सूं पारंगत हा अर ठायै री जिग्या माथै हा, वांरौ हाथ तौ उपर रैवणौ ई हौ, जिका कोशिस कर नै वा दियोड़ी भासा सिख लीवी, वै सीखण मांय कामयाब व्हिया पछै ई विकास अर संवाद रा मामला मांय आपरी राय मनावण जोगा कम ई मानीजिया. इणसूं भासा नै लेय’र एक झिझक अर हिणताबोध मांय-ई-मांय बरसां पळतौ रह्‌यौ अर आगै चाल’र वौ अठै रै मिनखा रौ मांयलौ सुभाव बण्ग्यौ. इण प्रक्रिया सूं जिण लिखण-पढण वाळी पीढी रौ निरमाण व्हियौ उणरौ कन्नै आपरै मन री ओक्ता सारू नीं हिन्दी पूरसल पड़ी नीं राजस्थांनी, दूजी भासावां री बात ई कांई करीजै!

fantastic

Dashrath Maheshwari, You copy my metter. I have written this on my website

जे आप राजस्थांनी हौ तौ मायड़ भासा राजस्थांनी सूं हेत राखौ
आज आपां जिकौ किं हां उण होवण रै लारै अठै री जमीन, अठै री संस्क्रती-संस्कार अर अठै रौ इतियास है. इण सैं चिजां सूं मिनख नै जिकौ जोड़ै वा है मायड़ भासा, आपणी भासा.
 
कांई थे जाणौ है ?
राजस्थांनी भासा कुळ चवदै बोलियां सूं बणी है. जिंयां मारवाड़ी, मेवाड़ी, हाड़ौती, ढुंढाड़ी, गोड़्वाड़ी, मेवाती इत्याद. घणी बोलियां भासा रै सिमरिध होवण री प्रतीक है.

आजादी सूं पैली 'डिंगल' रै रुप में ५४४ रजवाड़ा मांय आ बिल्कुल समान ही. आजादी रै पछै शिक्षा रौ माध्यम राजस्थांनी नीं व्हिया सूं इण नै बाचण अर लिखण रा अभ्यस्त नीं व्है सकिया. पण एकर अभ्यास सरु करियां पछै आ सब सूं सरळ अर मोवणी लागै. राजस्थांन रा सारा गांवां मांय आ इज बोलीजै.

राजस्थांनी भारतीय भासावां मांय तीजी अर संसार री भासावां मांय नवमी जगां राखै. केन्द्रिय साहित्य अकादमी जिण २२ भासावां नै मांनता दे राखी है, उण मांय राजस्थांनी ईं सांमळ है, पण सांवैधानीक मांनता नीं मिलण सूं प्रशासनिक अर राजकाज रै कांमा मांय अर भारत सरकार रै नोटां माथै आ नीं छप सकी.

राजस्थांनी भासा सूं निकळ्यौड़ी गुजराती भासा संसार री दसमी सबसूं म्होठी बोली जावण वाळी भासा है.

राजस्थांनी भासा मांय एक लाख सूं बेसी हस्तलिखित ग्रंथ बिखरियोड़ा पड्या है. अबार तांई ढाई लाख सबदां रौ विशाळ राजस्थांनी सबद कोस, अंस्सीहजार राजस्थांनी केहवतां अर मुहावरां रा केई छोटा-म्होठा कोश निकळ चुकिया है.
 Join us now to protect our mother tongue, download and send this form to us :
https://www.freewebs.com/hanvant/Maruwani%20-con.pdf

राष्ट्रगीत.......... कदै सुण्यौ है भारत रौ राष्ट्रगीत ?
 
कदै विचार कर्‌यौ कै सगळा राज्यां रा नांव आवै पण आपणै राजस्थांन रौ नांव क्यूं नीं आवै इण राष्ट्रगीत मांय......... इण रौ एक खास कारण है.
 
पैली अर सबसूं बड़ी बात तौ आ कै इण भारत देस मांय आपां राजस्थांनीया री कोइ इज्जत कोनीं. भारत रै राष्ट्रगीत मांय छोटा-सूं-छोटा राज्य रौ कै राज्य रै किणी खास भाग रौ ज्यूं कै गंगा (उप्र), द्रविड (दखिण), मराठा, विंध्य(मप्र) बंग (बंगाळ), सिंध(पाकिस्तान) सगळा रा नांव आवै, राजस्थांन भारत रौ सबसूं म्होठौ राज्य पछै ई इणरौ नांव क्यूं नीं ??
 
इण बात रौ म्यानौ इयूं मिळ सकै कै आपणौ राष्ट्रगीत आपणौ ई कोनीं, जद आखै भारत उपर अंगरेजां रौ राज हौ आपणौ राजपुतानौ एक स्वतंत्र देस हौ, हां भलां ई अंगरेजां रौ खास दबदबौ हौ, पण हौ तौ स्वतंत्र. 1947 मांय भारत सरकार same अंगरेजां वाळी निती divide and rule वाळी आपणै राजपुताना पर चलाई, आपणै राजावां नै राजप्रमुखा जैड़ा पदां रा लालच दिया अर राजपुतानै री एकता नै तोड़नै भारत मांय विलय कर लियौ.
 
आपां बात कर रह्‌या हा राष्ट्रगीत री, सगळा राज्यां रा नांवा है अर आपणौ क्यूं नीं, बस औ ईज कारण है इणरौ. जद राजपुतानौ भारत रौ भाग ईं नीं हौ तौ बापड़ा रविंद्रनाथजी कठा सूं राजपुतानै रौ नांव लिखता.
 
दूजी बात आ कै औ राष्ट्रगीत इयूं है ...................
 
जन गन मन अधिनायक, हे भारत भाग्य विधाता
 
औ भारत रौ भाग्यविधाता है कुण ????
 
औ भाग्यविधाता हौ, इंगलैंड रौ राजा (जद इंगलैड रौ राजा अर राणी भारत आ रह्‌या हा, तौ आपणा राष्ट्रकवी रविंद्रनाथजी वांरै स्वागत मांय अर वांनै संबोधता (addressing) थकां इण कविता री रचना करी ही.
 
लोग केह्‌वै कै भारत आजाद व्है ग्यौ, अगर आजाद व्है ग्यौ तौ क्य़ूं ब्रिटेन री महाराणी नै हाल ईं भारत री भाग्यविधाता कह्‌'र आपणां राष्ट्रगीत मांय गांवा हां ?
 
अठै राष्ट्रगीत रा 2 न्यारा-न्यारा कारण दिया है, जिणसूं आपां औ केह सकां कै राष्ट्रगीत आपणौ कोनीं, इब थां राजस्थांनीयां रै हाथ मांय है कै थे इणनै राष्ट्रगीत मांनौ कै नीं मानौ.
 
कन्हैयालाल सेठिया जी रै लिख्यौड़ौ धरती धोरां री आपणौ राज्य गीत व्हैणौ चावौ, आपणां विचार म्हनै पाछा लिखावजौ, आपरै विचारां री उडीक रह‌सी.
 
जै राजस्थांन

Originally posted by :Guest
" Dashrath Maheshwari, You copy my metter. I have written this on my website "

 

मारवाड़ री इज्जत बडावन सारु मैं आपरो मैटर कोपी कर लीनो, माफ़ी चाहूँ हूँ,

जे राजस्थान

भासा राजस्थान री, रहियां राजस्थान।
राजस्थानी रै बिना, थोथो मान 'गुमान'॥
आढो दुरसौ अखौ, ठाढ़ा कवि टणकेल।
भासा बिना न पांगरै, साहित वाळी बेल॥
पीथल बीकाणै पुर्णा, जाणै सकल जिहान।
पातल नै पत्री पठा, गहर करायौ ग्यान॥
सबद बाण पीथल लगै, मन महाराणा मोद।
अकबर दल आयो अड़ण, हलदी घाट सीसोद॥
धर बांकी बांका अनड़, वांका नर अर नार।
इण धरती रा ऊपना, प्रिथमी रा सिंणगार॥
धन धरती धन ध्रंगड़ो, धन धन धणी धिणाप।
धन मारु धर धींगड़ा, जपै जगत ज्यां जाप॥
रचदे मेहंदी राचणी, नायण रण मुख नाह।
जीतां जंग बधावस्यां, ढहियां तन संग दाह॥
नरपुर लग निभवै नहीं, आज काल री प्रीत।
सुरपुर तक पाळी सखी, प्रेम तणी प्रतीत॥
मायड़ भासा मान सूं, प्रांत तणी पहिचांण।
भासा में ईज मिलैह, आण काण ऒळखांण॥
मायड़ भासा जाण बिण, गूंगो ग्यान 'गुमान'।
तीजा गवरा होळीका, हुवै प्रांत पहिचांन॥
भाइ बीज राखी बंधण, गीत भात अर बान।

बनौ विन्याक कामण्या, विण भासा न बखान॥

Interesting about Marwari. Do you know about these Sanskrit books (in Devanagari)? https://www.YogaVidya.com/hyp.html

If u say so there are so many other languages like marwari for each cult everyone will want there language to be recognised.

In fact marwari is a dialect, not a language, it is Hindi with regional & cultural efeects

Miss Puja,

First and most inportant thing, you are not a Marwari (Rajasthani). what you know about this language before commenting. If or mom or dad or anyone in familly are having relations with Rajasthan then ask them if It is a Language.

Why your Punjabi is recognised in 60s, this was also treated as a dialect of hindi before recognisation.

Marwari is a recognised language by the UNO (United Nation) and the Sahitya Acadmy of India.

Your so called HINDI (You saying rajasthani is dialect of it) is just a 100 year old language. Orginally it is URDU and after mixing sanskirt words and removing Farshi words from this it is now known as HINDI.

Just tell me any of the Hindi Litrature before 150 year. There is no litrature. Rajasthani is having 2000 year old litrature so dont compare yoru stupid hindi with Rajsthani a great language of earth.

This is spoken by whole Rajasthan, Gujrat (part is Gujrati), Part of Sindh, Baluchistan and punjab area in Pakistan. Hariyana, Madhya pradesh. One of the dialect is called Gujari which is spoken by people of Kashmir, POK, Afganishtan, Checkoslavia, Iran, Irak.

Indian Govenment know the fact that this is one of the largest spoken Language of the world. If Govt recognsied this they cant show that hindi is a largest language of India, that is the reason they are not recognising this.

Please be aware and dont hurt again by saying that this is a dialect of Hindi.

FYI, some dialect of other langages are unneccessarily recognised by the government :

Kokani (dialect of marathi), Nepali (Language of Nepal), Sindhi (Language of Pakistan), Urdu (National Language of Pakistan). and there are so maney other spoekn by adivasi people in few places are recognised.

 

Jai Rajasthan, Jai Rajasthani


CCI Pro

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