This is one of the poem written by my friend........
I loved it very much and thoght to share it with all my dear friends at CCI :
शीत ऋतु आई
शीतल शीतल पवन छाई
धूप में बैठने के दिन आये
गरम गरम पकवान खाने को मन ललचाये
मन्द मन्द सूरज मुस्कुराये
शीतल शीतल पवन छाए
गजक मूंगफली घेवर मलाई
देखो अम्मा भी ले आई
छोङ दो अब तुम भी शर्माना
हो जाये हमारे संग जम के खाना
शीत ऋतु आई
शीतल शीतल पवन छाई