Poem on anna ji

CS LLB Pulkit Gupta (https://www.facebook.com/pages/Life-and-Promises/553962034682487)   (16631 Points)

21 August 2011  

Friends right now I am leaving for RamLila Maidan to support a noble cause that is fight against corruption. 

Hopefully I will come back  at 5.30pm to support Candlelight March at Laxmi Nagar too. I request you all to join us in large numbers.

Before leaving I want to dedicate this poem to Anna ji and his struggle

हज़ारे जी की ख्वाहिशें ऐसी की हर ख्वाहिश पर भ्रष्टाचारियों का दम निकले, 
बहुत निकला भ्रष्टाचारियों पर जनता का गुस्सा लेकिन फिर भी कम निकले. 

डर जाए हर भ्रष्टाचारी अब क्योंकि लोकपाल पकड़ेगा उसकी गर्दन को, 
वो नेता और बाबू जो कानून से उम्र भर आसानी से बच निकले. 

निकलना बेईमानो का मंत्रिमंडल से सुनते आये हैं लेकिन, 
बहुत बे आबरु होकर कुछ और मंत्री मंत्रिमंडल से अब निकलें. 

भ्रम टूट जाए नेताओं का कि अब भी बच सकते हैं वो जनता से, 
अपने दिन गिन लें वो जिनकी तरफ अन्ना के कदम निकले. 

अगर लिखना है देश का इतिहास फिर से तो समझ लो यह, 
हो सुबह जैसे ही तो बाँध कर कफ़न घर से हम निकलें 

हुई है कितने सालों से जनता से सिर्फ बेईमानी ही बेईमानी रोज़, 
अब आया है यह ज़माना जब जनता इन्साफ करने घर से निकले. 

करी थी जिनसे उम्मीद हमने देश को आगे बढ़ाने कि, 
देश के वो नेता ही सबसे ज्यादा खुदगर्ज़ हैं निकले. 

पड़ता नहीं है जिसको फर्क जीने और मरने से, 
उस अन्ना के पीछे देश का हर बच्चा-बच्चा शान से निकले. 

करो वह वार बेईमानी पर कि हर बेईमान डर जाए, 
कहे काँपता हुआ यह कि लोकपाल के डर से दम निकले. 

देश के वास्ते यह बीड़ा है उठाना मिलकर हम सब को, 
कहीं बोलें न बच्चे कल कि पापा तो कायर निकले. 

अभी तो दूर है सपना भ्रष्टाचार मुक्त भारत का, 
मगर वह दिन भी लायेंगे यह कसम खा कर हैं हम निकले