professional accountant
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Joined September 2008
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| बैचलर करें फाइनांसिअल प्लानिंग |

रंजीत शिंदे
आयरलैंड के लेखक ऑस्कर वाइल्ड ने अकेले रहने वाले वाले लोगों के संबंध में समाज के आम नजरिए को लेकर कहा था, 'अकेले रहने वाले धनी लोगों पर ज्यादा कर लगाना चाहिए। यह सही नहीं है कि कुछ लोग दूसरों से ज्यादा खुश रहें।' आमतौर पर माना जाता है कि बैचलर या अविवाहित लोगों के ऊपर जिम्मेदारी नहीं होती और वे जीवन का भरपूर मजा लेते हैं। लेकिन अकेले रहने का मतलब यह नहीं है कि आप अपने जीवन के वित्तीय पहलू को पूरी तरह नजरअंदाज कर दें। ऐसे लोगों के लिए वित्तीय योजना का महत्व और अधिक हो जाता है।
इस लेख में अकेले लोगों के लिए वित्तीय योजना के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी जा रही है। हम यहां उन लोगों के बारे में बात कर रहे हैं जो 30-40 उम्र के बीच हैं और
जिनका विवाह करने का कोई इरादा नहीं है...
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| सिंगल्स क्यों करें फाइनांसिअल प्लानिंग |
अकेले लोगों के लिए वित्तीय योजना का महत्व आज के दौर में काफी बढ़ गया है क्योंकि समाज में ऐसे लोगों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। फाइनेंशियल प्लानर भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि उनके क्लाइंट में अकेले लोगों की संख्या में वृद्धि हो रही है। ऐसे ही कुछ लोगों से हमने बात की और पाया कि इनमें से ज्यादा लोग सर्विस सेक्टर में काम करते हैं और मध्य या उच्च आय वर्ग से ताल्लुक रखते हैं।
ऐसे लोग अक्सर वित्तीय योजना की रणनीति के महत्व को नजरअंदाज करते हैं। मुंबई में फाइनेंशियल प्लानर अमर पंडित के पास बहुत से ऐसे मामले आए हैं जिनमें लोगों ने अपने करियर के शुरुआती सालों में वित्तीय योजना नहीं बनाई और बाद में उन्हें इसका नुकसान उठाना पड़ा।
फाइनेंशियल प्लानर अमर पंडित का कहना है, 'बहुत से सिंगल लोग बचत से ज्यादा ऐशो-आराम को तरजीह देते हैं। अगर वे निवेश करते भी हैं तो भी उसे लेकर ज्यादा गंभीर नहीं होते। इसका खामियाजा उन्हें उस वक्त उठाना पड़ता है जब उन्हें धन की सबसे अधिक जरूरत होती है।'
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| शादीशुदा और सिंगल की जरूरतें अलग अलग |
विवाहित लोगों की तुलना में अकेले रहने वालों के वित्तीय योजना बहुत से मायनों में अलग होती है। विवाहित लोगों के ऊपर पत्नी और बच्चों की जिम्मेदारियां होती है लेकिन सिंगल लोगों के साथ ऐसा कुछ नहीं होता। इसका मतलब है कि अकेले व्यक्ति के औसत खर्च विवाहित के मुकाबले में काफी कम होते हैं।
विवाहित व्यक्ति को अपनी बचत का एक बड़ा हिस्सा बच्चों की उच्च शिक्षा और विवाह जैसे खर्चों के लिए अलग रखना होता है जबकि सिंगल लोगों के सामने ऐसे कोई खर्च नहीं होते। लेकिन यह भी सच है कि अकेला व्यक्ति केवल अपनी आमदनी पर निर्भर होता है जबकि कामकाजी पत्नी वाले विवाहित व्यक्ति के पास और आमदनी अधिक होती है। इसके अलावा उम्र बढ़ने के साथ ही अकेले व्यक्ति की परेशानियां भी बढ़ने लगती हैं और उसे अपनी रिटायरमेंट के लिए काफी पहले से सोचना होता है।
अकेले लोगों को अपनी वित्तीय रणनीति की योजना बनाते समय ऐसी कुछ अन्य बातों को भी ध्यान में रखने की जरूरत होती है...
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| आपात कोष बनाएं, कर्ज का बोझ कम रखें |
वित्तीय जानकारों की राय है कि सिंगल लोगों को अपने छह महीने के खर्च के बराकर रकम एक अलग कोष में रखनी चाहिए। ऐसे खर्चों में टेलीफोन और बिजली के बिल, ईएमआई, फूड और ट्रैवल शामिल होते हैं। अगर व्यक्ति का आमदनी को स्त्रोत अस्थायी रूप से बंद हो जाता है तो यह कोष उसके लिए काफी मददगार होता है।
सिंगल लोगों के पास आमदनी का केवल एक ही स्त्रोत होता है। इसे देखते हुए उन्हें अपने ऊपर कर्ज का बोझ कम से कम रखना चाहिए। इससे वह अपनी रिटायरमेंट के लिए बड़ी रकम भी जमा कर सकते हैं।
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| हेल्थ इंश्योरेंस करवाएं, जीवन बीमा भी |
अकेले व्यक्ति के जीवन में हेल्थ इंश्योरेंस का काफी महत्व होता है। बहुत सी कंपनियां अपने कर्मचारियों को ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस के जरिए बीमा सुरक्षा देती हैं लेकिन फाइनांशियल प्लानरों का कहना है कि अकेले रहने वालों को इसके अलावा भी हेल्थ पॉलिसी लेनी चाहिए। फाइनेंशियल प्लानर गौरव माशरूवाला के अनुसार, 'ऐसे समय में हेल्थ पॉलिसी काफी मददगार होती है जब आपकी नौकरी नहीं रहती।' पंडित का मानना है कि सिंगल लोगों को 3-5 लाख रुपए की हेल्थ इंश्योरेंस लेनी चाहिए।
यह उन सिंगल लोगों के लिए बहुत जरूरी है जिनके ऊपर माता-पिता या भाई-बहनों की जिम्मेदारी है। बीमा सुरक्षा की रकम आश्रितों की भविष्य की जरूरतों पर निर्भर करती है। माशरूवाला इसके लिए टर्म इंश्योरेंस प्लान लेने की सलाह देते हैं। इसमें उन्हें बहुत कम प्रीमियम पर अच्छी बीमा सुरक्षा मिल सकती है।
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| पोर्टफोलियो तैयार करें |
अकेले लोगों के साथ सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि वे अपने निवेश को लेकर ज्यादा जोखिम ले सकते हैं क्योंकि उनके ऊपर जिम्मेदारियां नहीं होती। ऐसे लोग अपनी रिटायरमेंट की योजना में भी कुछ जोखिम लेकर अच्छा रिटर्न कमा सकते हैं।
रिटायरमेंट के लिए वित्तीय योजना की शुरुआत कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) से होती है। प्रत्येक माह कर्मचारी और कंपनी मूल वेतन का 12 फीसदी ईपीएफ में योगदान देते हैं। इस योजना पर अभी 8.5 फीसदी की दर से चक्रवृद्धि वार्षिक ब्याज मिल रहा है। ईपीएफ निवेश का एक अच्छा जरिया है और रिटायरमेंट के समय तक आपको एक बड़ी रकम दे सकता है। लेकिन अगर आप नौकरी में नहीं रहते या अपना कारोबार करते हैं तो आपके पास ईपीएफ की सुविधा नहीं होगी। ऐसे में आपको अपने निवेश का दायरा बढ़ाना होगा।
आप पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (पीपीएफ) में निवेश कर सकते हैं। यह खाता अभी सरकारी बैंकों की चुनिंदा शाखाओं या डाकघर में खुलवा सकते हैं। इसमें वार्षिक 70,000 रुपए तक जमा कराए जा सकते हैं और इस पर 8 फीसदी की सालाना दर से ब्याज मिलता है। ईपीएफ और पीपीएफ से मिलने वाले रिटर्न पर आयकर भी नहीं देना होता। सिंगल लोग लंबी अवधि का इक्विटी पोर्टफोलियो भी तैयार कर सकते हैं। पंडित का कहना है, 'सिंगल लोग इक्विटी, डेट और सोने जैसे
निवेश के विकल्पों में धन लगा सकते हैं।'
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| वसीयत तैयार करें |
यह अविवाहित जीवन का सबसे दुखद पहलु होता है। ऐसे लोग भले ही बड़ी संपत्ति जमा करें लेकिन विवाहित लोगों के तरह उनका कोई वारिस नहीं होता। ऐसे में उनके लिए वसीसत काफी अहम हो जाती है।
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