ONE SMALL ANT.

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 एक छोटी सी चींटी हर दिन दफ्तर में समय से पहले पहुंच जाती और तुरंत काम शुरू कर देती थी। अपने काम से वह खुद काफी खुश थी। उसका आउटपुट काफी ज्यादा था। उसका सर्वोच्च बॉस, जो एक शेर था, इस बात से चकित रहता था कि चींटी बिना किसी पर्यवेक्षक के इतना काम कैसे कर लेती है। 

एक दिन उसने सोचा कि चींटी अगर बगैर किसी पर्यवेक्षक के इतना काम कर रही है तो उसके ऊपर एक सुपरवाइजर रख दिया जाए तो वह और ज्यादा काम करेगी। सुपरवाइजर बता सकेगा कि चींटी का श्रम कहां व्यर्थजाताहै,  वह अपना परफर्मेस और कैसे सुधार सकती है। किस तरह उसके पोटेंशियल का और बेहतर इस्तेमाल हो सकता है। इसलिए शेर ने एक तिलचट्टे को उसका सुपरवाइजर बना दिया। 

तिलचट्टे को सुपरवाइजर के काम का काफी अनुभव था। वह अच्छी रिपोर्ट लिखने और अपने मातहतों को प्रोत्साहित करने के लिए मशहूर था। जब उसने जॉइन किया तो पहला निर्णय यह लिया कि दफ्तर में घड़ी लगाई जाए। समयबद्धतरी केसे काम करने से आउटपुट बढ़ता है। अनुशासन किसी भी व्यवस्था की रीढ़ होता है। 

लेकिन यह सब करने और रिपोर्ट तैयार करने के लिए उसे एक सेक्रेट्री की जरूरत महसूस हुई। उसने इस काम के लिए एक मकड़े को नियुक्त कर लिया। वह उसकी क्लिपिंग और पुरानी फाइलों आदि का हिसाब रखता था और फोनकॉल (उस समय मोबाइल नहीं थे) आदि देखता था। 

तिलचट्टे की रिपोर्ट से शेर बहुत खुश हुआ और उत्पादन दर बताने के लिए ग्राफ बनाने और विकास की प्रवृत्तियों के झुकावों आदि का विश्लेषण करने के लिए कहाता कि वह खुद भी बोर्ड मीटिंग में उन आंकड़ों का उपयोग कर सके। इसके लिए तिलचट्टे को कंप्यूटर और प्रिंटर की जरूरत हुई। इन सबकी देखभाल करने के लिए उसने एक मक्खी की नियुक्ति कर ली। 

दूसरी ओर, एक समय खूब काम करने वाली चींटी इन तमाम नई व्यवस्थाओं से और अक्सर होने वाली मीटिंगों से परेशान रहने लगी। उसका ज्यादातर समय इन्हीं सब बातों में गुजर जाता था। उसे प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने और अपनी उपलब्धियों का ब्यौरा देने की आदत नहीं थी। उसका आउटपुट घटने लगा। 

इन  सारी  स्थितियों  को  देखकर  शेर  इस  निष्कर्ष  पर  पहुंचा  कि  चींटी  के  काम करने  वाले  विभाग  के  लिए  एक  इंचार्ज  बनाए  जाने  का  समय   गया  है।  यह  पद  एक  खरगोश  को  दे  दिया  गया।  अब  उसे  भी  कंप्यूटर  और  सहायक  की जरूरत  थी।  इन्हें  वह  अपनी  पिछली  कंपनी  से  ले  आया। 
खरगोश  ने  काम  संभालते  ही  पहला  काम  यह  किया  कि  दफ्तर  के  लिए  एक बढ़िया  कालीन  और  एक  आरामदेह  कुर्सी  खरीदी।  इन  पर  बैठकर  वह  काम और  बजट  नियंत्रण  की  अनुकूल  रणनीतिक  योजनाएं  बनाने  लगा। 

इन  सारी  बातों  -  कवायदों  का  नतीजा  यह  हुआ  कि  चींटी  के  विभाग  में  अब चींटी  समेत  सभी  काम  करने  वाले  लोग  दुखी  रहने  लगे।   लोगों  के  चेहरे  से हंसी  गायब  हो  गई।  हर  कोई  परेशान  रहने  लगा ,  इस  पर  खरगोश  ने  शेर को यह  विश्वास  दिलाया  कि  दफ्तर  के  माहौल  का  अध्ययन  कराना  बेहद  जरूरी है।  चींटी  के  विभाग  को  चलाने  में  होने  वाले  खर्च  पर  विचार  करने  -  कराने  के बाद  शेर  ने  पाया  कि  काम  तो  पहले  के  मुकाबले  काफी  कम  हो  गया  है। 

सारे  मामले  की  तह  में  जाने  और  समाधान  सुझाने  के  लिए  शेर  ने  एकप्रतिष्ठित  और  जाने  -  माने  सलाहकार  काक  को  नियुक्त  किया।  वह  अपनी  बात बहुत  ही  प्रभावी  ढंग  से  रखता  था।  काक  ने  रिपोर्ट  तैयार  करने  में  तीन  महीने लगाए  और  एक  भारी  भरकम  रिपोर्ट  तैयार  करके  दी।  यह  रिपोर्ट  कई  खंडों में   थी। इसका  निष्कर्ष था कि  विभाग  में  कर्मचारियों  की  संख्या  बहुत  ज्यादा है। 

शेर  बेचारा  किसे  हटाता ,  बेशक  चींटी  को  ही ,  क्योंकि  उसमें  काम  के  प्रति लगन  का  अभाव  दिख  रहा  था।  और  उसकी  सोच  भी  नकारात्मक  हो  गई  थी।

 

 

Replies (7)

 

Dear Akhil, you were wrong...this is not forum of today...Oye bhai this is forum of the month yaar...Superb and fantastic...

 

Story with a great message...

 

Mann to karta hai apna MD ko forward kar doon...???

 

Thanks and Cheers !!!

 

Before submitting this topic in todays forum I had send this to my boss at corporate office. As I have a good relations and always tries to maintain good relation with freinds and collegues I never fear of discussing any problem with any one.

Thanks to GOD I never faced such type of problem in real.

great one yar/.....

Originally posted by : CA Shivang

great one yar/.....

VERY GOOD AND INSPERATIVE

gud story.....

NICE


CCI Pro

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