प्रभु चले ‘सी ए’ करने
हे प्रभु तुम जग के स्वामी हो।
इस युग मे अन्तरयामी हो।
एक उंगली पर पृथ्वि को उठा सकते हो।।
पर एक काम है जो तुम नही कर सकते।
कितना भी चाहो पर ‘सी ए’ पास नही कर सकते।।
पभु बोले
यह्र असुर कोन है इस अत्याचारी का क्या नाम है
इतना तो बताओ की ‘सी ए’ किस चिड़ि.या का नाम है
दोस्त बोला
कोसता हुॅं उसको जिसने बाजार बनाया
लेने देने के लिए रूपया बनाया
साहुकार जिसे मुंशी कह कर रखा करते है
पढे लिखे मुंशी को ही लोग ‘सी ए’ कहा करते है
1947 मे देश आजाद हुआ तो लोगो ने वो दिन खुशी से मनाया।
1948 मे गांधी जी चले गए तो हमने शोक मनाया।।
पर आने वाले सल मे एक बड़ा भुचाल आया।
1949 मे जब सी ए रेगुलेशन एक्ट आया।।
बस तभी से शुरू हुइ ये कहानी ह।ै
हर ‘स्टुडेन्ट’ की ऑंको मे पानी है।।
‘इंटेलिजेन्स’ ओर ‘पेशैन्श’ इसका उपचार है।
क्या आप ये परीक्षा आजमाने को तैयार है ।।
प्रभु बोले के ठीक है मै ‘सी ए’ कर के दिखाउगा और ‘आरटिकलशिप करने ‘पी डब्लु सी’ पहुच गए।
प्रभु ने ‘पी डब्लु सी’ का दरवाजा खटखटाया ।
अंदर से किसी ने आवाज दे कर बुलाया।।
102. 103 साथ मे लाए हो।
त्रिशूल ओर डमरू ले कर क्या नोटंकी करने आए हा।।े
दूसरे दिन प्रभु की आखो मे आसू आए।
जब अपने बडे. बडे बाल कटवाए।।
.तीसरी ऑख को छुपा लिया था।
अब तो पैंट ओर र्शट भी सिलवा लिया था।
बिना टाई के बात नही जमी थी।
हाथ मे बस एक बैग की कमी थी।।
पहले थोड़े ‘क्िरिटिकल’ लगते थे।
अब ‘पी डब्लु सी’ के ‘आर्टिकल’ लगते थे।।
जिस हाथ मे कभी त्रिशूल रहता था।
अब उस हााथ मे ‘पेन’ लाल था।।
‘आडिट’ पर ‘वोचर’ और ‘फाईल’ देख कर।
प्रभु शंकर का बुरा हााल था।।
प्रभु बोले
वत्स एक बात बताओ ये ‘संडे’ क्या होता है।
सुना है उस दिन बड़ा आराम होता है।।
दोस्त बोला
6 दिन बाद कल आम जन तो आराम करेगे।
पर आप बैठ कर कल की ‘सी सी’ कि तैयारी करेगे।।