Inspiring poem in hindi

Ehsash yadav (student) (80 Points)

06 October 2013  

कस्ती डूब रही है तो क्या हुआ ?

 मेरे हाथों में अभी तक जान बाकी है। 

पर कट गए गर तूफ़ान में तो का हुआ ,

मेरे  होशालों में अभी भी उड़न बाकी है. 

उस सूरज पर भी एक दिन हमारा बसेरा होगा,

बस ये सफ़र होना आसन बाकी है.

खुद को प्रथ्वी की तरह बना रहे चाँद ,तारे ,

समझ गए है यहाँ बसना इन्सान बकी है।  

हाथ पैर काट कर मुझे मरा  समझ लिया उसने ,

अरे अभी में जिन्दा हूँ ,अभी मुझमे जान बाकी है।  

कुछ अच्छा सुना के बच्चो को सुलाओ लोगों,

कब तक कहते रहोगे की आना सैतान बाकी है।  

मुझे देख कर उसने अपना मुह फेर लिया था,

लग रहा है अभी भी ,जान पहचान बाकी है।  

गिरेगें ,बिख्रेगें ,टूटेंगे , मगर हार नहीं मानेगें,

जब तक हम जिन्दा है,जब तक जान बाकी है। 

एक हार से ही हार मानने बालों आख खोल कर देखो ,

तुम्हारे लिए सफलताओं का जहान बाकी है।  

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