A very nice poem...we all have read it in in schools...so just have a recap...
फूलों से नित हसना सीखो ,
भोरों से नित गाना .
फल के लदी डालियों से,
नित सीखो शीश झुकाना .
सीख हवा के झोंकों से लो ,
कोमल -कोमल बहना .
धूध ठठा पानी से सीखो ,
मेल झोल से रहना..
सूरज की किरणों से सीखो ,
जागना और जगाना .
लता और पेड़ों से सीखो ,
सबको गले लगाना .
दीपक के जलने से सीखो ,
अंधकार को हरना .
पृथ्वी से सीखो सबकी नित ,
सच्ची सेवा करना