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? यह सवाल आमतौर पर जनरल कैटिगरी के कैंडिडेट पूछते हैं। लेकिन अब इसे सुप्रीम कोर्ट में उठाया गया है।
आदित्य कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में इस बारे में एक याचिका दायर की है। इस मामले पर सोमवार को उनके वकील एम. एल. लाहोटी ने जस्टिस अल्तमस कबीर और जस्टिस सिरिएक जोसेफ की बेंच के सामने बहस की। लाहोटी का कहना था कि यह नियम तो 'समानता के अधिकार' की जड़ों पर ही हमला है।
हालांकि बेंच ने इस मामले की संवैधानिकता को जांचने से इनकार कर दिया, लेकिन उसने यूपीएसली को नोटिस जारी कर पूछा है कि ओबीसी और एसी, एसटी कैंडिडेट्स के बराबर माना जाना चाहिए या नहीं।
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इससे पहले आदित्य कुमार ने दिल्ली हाई कोर्ट में भी यह अपील डाली थी, लेकिन वहां उनकी अपील को कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि आर्टिकल 16 (4)के मुताबिक सामाजिक वजहों से पिछड़े तबके को सरकारी नौकरियों में बराबर मौके दिलाने की बात कही गई है।
इसके बाद आदित्य कुमार ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उनका कहना है कि बैकवर्ड क्लास और जनरल कैटिगरी के स्टूडेंट्स को अलग-अलग मौके देना सही नहीं है।