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Waqt nahi..

Nitin Ramchandani (MBA(finance)) (397 Points)

02 September 2012  

हर ख़ुशी है लोगों के दामन में, पर एक हसी के लिए वक्त नहीं.
दिन रात दौड़ती दुनिया में, ज़िन्दगी के लिए ही वक्त नहीं.

 

माँ की लोरी का एहसास तो है, पर माँ को माँ कहने का वक्त नहीं.
सारे रिश्तो को तो हम मार चुके, अब उन्हें दफ़नाने का भी वक्त नहीं.

 

सारे नाम मोबाइल में है, पर दोस्ती केलिए वक्त नहीं.
गिरो की क्या बात करे, जब अपनों के लिए ही वक्त नहीं.

 

आँखों में है नींद बड़ी, पर सोने का वक्त नहीं.
दिल है घमों से भरा हुआ, पर रोने का भी वक्त नहीं.

 

पैसो की दौड़ में ऐसा दौड़े, की थकने का भी वक्त नहीं.
पराये एहसासों की क्या कदर करे, जब अपने सपनो के लिए ही वक्त नहीं.

 

तू ही बता ए ज़िन्दगी,
इस ज़िन्दगी का क्या होगा,
की हर पल मरने वालो को,
जीने के लिए भी वक़्त नहीं...

 


 1 Replies

Deepak kumar sharma (Govt. job) (2946 Points)
Replied 02 September 2012

Good one

1 Like



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