Jab MAin Chhota Thaa...

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जब मैं छोटा था,
शायद दुनिया बहुत बड़ी हुआ करती थी...
मुझे याद है मेरे घर से "स्कूल" तक का वो रास्ता,
क्या क्या नहीं था वहां,
छत के ठेले, जलेबी की दुकान, बर्फ के गोले, सब कुछ,
अब वहां "मोबाइल शॉप", "विडियो पार्लर" हैं, फिर भी सब सूना है....
शायद अब दुनिया सिमट रही है......

जब मैं छोटा था,
शायद शामे बहुत लम्बी हुआ करती थी....
मैं हाथ में पतंग की डोर पकडे, घंटो उडा करता था,
वो लम्बी "साइकिल रेस", वो बचपन के खेल,
वो हर शाम थक के चूर हो जाना,
अब शाम नहीं होती, दिन ढलता है और सीधे रात हो जाती है..........
शायद वक्त सिमट रहा है........

जब मैं छोटा था,
शायद दोस्ती बहुत गहरी हुआ करती थी,
दिन भर वो हुज़ोम बनाकर खेलना,
वो दोस्तों के घर का खाना, वो लड़किया, वो साथ रोना,
अब भी मेरे कई दोस्त हैं, पर दोस्ती जाने कहाँ है,
जब भी "ट्रेफिक सिग्नल" पे मिलते हैं "हाई" करते हैं,
और अपने अपने रास्ते चल देते हैं,
शायद अब रिश्ते बदल रहें हैं...

Replies (2)

Very Nice.

 

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Really people don't know

what they want

in the life

and

from the life.

 

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Kho  Gaya Bachpan,  Saflata  ko  Dhoondhane  me

Bhul  Gaya   Bachpan,  Khokar   Jhuthi  Duniya  me. 

 

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Originally posted by : CA SURENDRA KUMAR RAKHECHA

Very Nice.

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Really people don't know
what they want
in the life

and

from the life.
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Kho Gaya Bachpan, Saflata ko Dhoondhane me
Bhul Gaya Bachpan, Khokar Jhuthi Duniya me.
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Thats truth our life

Very Nice Post


CCI Pro

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