PEN MAGICIAN---ceos

shailesh agarwal (professional accountant)   (7642 Points)

23 November 2009  

 

 
CEOs बने कलम के जादूगर...!
CEOs बने कलम के जादूगर...!

आरती मेनन कैरल







मुंबई: एक दिलचस्प सवाल है कि माइंडट्री कंसल्टिंग के संस्थापक सुब्रतो बागची के पास तीन बेस्टसेलिंग किताब लिखने का वक्त कैसे निकला? उनका जवाब है कि वह गोल्फ नहीं खेलते और इसी वजह से उन्हें शब्दों से खेलने की फुरसत मिल जाती है।



 
सोने के अंडे दे रही हैं CEOs की किताबें...
सोने के अंडे दे रही हैं CEOs की किताबें...

दरअसल, इन दिनों सीईओ लेखकों की रचनाएं भारतीय पब्लिशिंग हाउस के लिए सोने के अंडे देने वाली मुर्गी बन गई हैं। किशोर बियानी की बायोग्राफी 'इट हैपेंड इन इंडिया' ने संभवत: इसके लिए मंच तैयार किया। छोटी दुकानों को फैबिक बेचने से लेकर पैंटालून शुरू करने तक के सफर को अपने सफों में सजाने वाली इस किताब की 2,00,000 से ज्यादा प्रतियां बिकी थीं और छह भारतीय भाषाओं में इसका अनुवाद किया गया।







इसे भारत में पब्लिश किया गया और किताब की कीमत 99 रुपए थी। इस पुस्तक में रीटेलिंग मंत्र के बारे में कहानी कही गई थी। बियानी मजाक करते हुए कहते हैं, 'मैंने फिल्में बनाने में किस्मत आजमाई और नाकाम रहा।'







आगे जानें कैसे बनती है कोई किताब बेस्टसेलर...?





मुंबई के ताजमहल होटल में अपनी हालिया किताब 'द प्रोफेशनल' की रिलीज पर उन्होंने हल्के अंदाज में कहा कि किस तरह उन्होंने उम्मीद की थी कि उनकी पुस्तक पब्लिशर पेंगुइन बुक्स इंडिया के शेल्फों में जगह घेरना जारी रखेगी। टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा की ओर से जारी 'द प्रोफेशनल' के बारे में उदयन मित्रा (पेंगुइन इंडिया की गैर-फिक्शन इम्प्रिंट एलेन लेन के पब्लिशिंग डायरेक्टर) ने बताया कि यह किताब बागची की पुरानी दो पुस्तकों से ज्यादा पाठक खींचेगी। पहले प्रिंट रन में बाजार में 25,000 प्रतियां पेश की जाएंगी।







आगे जानिए किशोर बियानी की किताब ने कितनों का दिल जीता.....?

 
10,000 प्रतियां बिकीं तो समझो बेस्टसेलर...
10,000 प्रतियां बिकीं तो समझो बेस्टसेलर...

फिक्शन की किसी स्टैंडर्ड किताब की अगर केवल 10,000 प्रतियां बिकें, तो उसे बेस्टसेलर का तमगा दे दिया जाता है, ऐसे में नंदन नीलेकणि की 'इमेजिंग इंडिया: आइडियाज फॉर द न्यू सेंचुरी' ने पहले साल में ही 50,000 प्रतियां बेचीं।







आगे जानें क्यों खतरा पैदा हो रहा है फिक्शन के लिए...?





 
 

 

 

 

 

 

फिक्शन के लिए खतरा बनी CEOs की रचनाएं...
फिक्शन के लिए खतरा बनी CEOs की रचनाएं...

 

 एन आर नारायण मूर्ति की 'ए बेटर वर्ल्ड' ने शुरुआती छह महीने में ही 40,000 प्रतियां बेचकर धमाल मचा दिया था। जब रोली बुक्स ने प्रोड्यूसर कॉपरेटिव के चैम्पियन वगीर्ज कुरियन की 'आई टू हैड ए ड्रीम' प्रकाशित की, तो उन्हें इसकी कामयाबी का स्वाद मिला। रोली बुक्स के पब्लिशर प्रमोद कपूर ने कहा, 'हमें लगा कि हम साधारण सी बायोग्राफी पर काम कर रहे हैं और निश्चित रूप से कुछ ही लोग इसमें दिलचस्पी दिखाएंगे, लेकिन इसके बिकने का सिलसिला चलता रहा और हमें इसे दोबारा प्रकाशित कराना पड़ा।'







वास्तव में यह नई श्रेणी पांरपरिक रूप से पैसा कमाने वाली कैटेगरी मानी जाने वाली फिक्शन के लिए खतरा पैदा कर रही है। हार्पर कॉलिंस इंडिया की मार्केटिंग हेड लिपिका भूषण ने कहा, 'पाठक वास्तविक जिंदगी से जुड़ी केस स्टडी चाहते हैं, जिनसे वे खुद को जोड़कर देख सकें, खास तौर से उस वक्त जब कोई विजेता की तरह खड़ा हुआ अपनी कहानी कह रहा हो।'