HAPPY MOTHER

anshul bafna (student) (522 Points)

09 May 2010  

 

जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है
माँ दुआ करती हुई ख्वाब में आ जाती है|
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकां आई
पर मेरे हिस्से में तो मेरी माँ आई|
इस तरह मेरे गुनाहों को धो देती है
माँ गुस्से में हो तो भी रो देती है|
ये ऐसा कर्ज है जो में अदा कर ही नहीं सकता
मैं जब तक घर ना लोटू मेरी माँ सजदे में रहती है|
अभी जिंदा है माँ मेरी मुझे कुछ नहीं होगा
मैं जब भी घर से निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है ||