Filing of ITR for non audit individuals ( hindi)

U S Sharma (glidor@gmail.com) (21056 Points)

12 July 2011  

व्यक्तिगत करदाता जो ऑडिट की श्रेणी में नहीं आते हैं के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई निर्धारित है।



31 जुलाई में मात्र कुछ ही दिन शेष रह गए हैं एवं यदि आप अभी तक अपने आयकर रिटर्न दाखिल करने संबंधी दस्तावेज एवं जानकारी नहीं जुटा पाएँ हैं तो अपने व्यस्त समय में से कुछ समय निकालकर निम्न जानकारी तुरंत जुटा लें।



1. विभिन्न मदों से प्राप्त आय/ लाभ/ हानि की गणना- सर्वप्रथम वित्तीय वर्ष 2010-11 में अर्जित विभिन्न मद जिसमें सेलेरी, हाउस प्रापर्टी, प्रॉफिट एंड गेन ऑफ बिजनेस या प्रोफेशन, केपिटल गेन, अन्य स्रोत आदि से प्राप्त आय/ लाभ/ हानि की गणना कर लें। उक्त मदों से अर्जित आय की गणना करते समय निम्न जानकारी आवश्यक रूप से जुटा लें। 



(ए) फार्म 16- यदि आप नौकरी-पेशा हैं तो अपने नियोक्ता से फार्म नं. 16 ले लें। फार्म नंबर 16 में सेलेरी मद से हुई आय का समावेश होता है एवं यदि नियोक्ता ने आपकी टीडीएस कटौती की है तो वह भी इसमें शामिल होती है। 



(बी) ब्याज का सर्टिफिकेट- यदि आपने होम लोन ले रखा है तो बैंक से वित्तीय वर्ष में चुकाए गए ब्याज का सर्टिफिकेट प्राप्त कर लें, जिसकी छूट धारा 24(बी) के तहत प्राप्त की जा सकती है। 



(सी) केपिटल गेन- यदि आपने धारा 54, 54-बी, 54-डी, 54-ईसी, 54-एफ, 54-जी एवं 54-जीए के तहत केपिटल गेन बचत के लिए निवेश किया है तो उसकी भी जानकारी जुटा लें। 



(डी) अन्य स्रोत- फिक्स्ड डिपॉजिट, एनएससी, केवीपी, डिविडेंड, रेस हार्स आदि से प्राप्त आय की जानकारी भी जुटा लें। साथ ही यदि अवयस्क बच्चों की भी कोई आय है तो उसे माता-पिता में से जिसकी आय अधिक हो उसमें जोड़ें। 



2. धारा 80-सी, 80-यू के तहत प्राप्त छूट-



(ए) धारा 80-सी, 80-सीसीसी एवं 80-सीसीडी के तहत छूट- आयकर अधिनियम की धारा 80-सी, 80-सीसीसी के तहत व्यक्तिगत करदाता रु. 1,00,000 तक का अनुमोदित निवेश/ अंशदान/ खर्च/ हाउसिंग लोन रिपेमेंट आदि की छूट प्राप्त कर सकते हैं। यदि वित्तीय वर्ष में आपने ईपीएफ/ पीपीएफ में अंशदान, एनएससी, टैक्स सेविंग एफडी, टैक्स सेविंग बॉण्ड, इंश्योरेंस प्रीमियम, ईएलएसएस या यूलिप आदि में निवेश किया है तो इससे संबंधित दस्तावेज एवं जानकारी जुटा लें। साथ ही यदि आपने वित्तीय वर्ष के दौरान बच्चों की पूर्णकालिक एजुकेशन की ट्यूशन फीस एवं किसी हाउस प्रॉपर्टी की खरीदी की गई हो तो उस पर चुकाए गए स्टाम्प शुल्क एवं पंजीयन शुल्क की भी जानकारी जुटा लें। 



(बी) धारा 80-सीसीएफ के तहत छूट- यदि आपने धारा 80-सीसीएफ के तहत इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड में निवेश किया है तो उसकी भी जानकारी जुटा लें। 



(सी) धारा 80-डी के तहत छूट- आयकर अधिनियम की धारा 80-डी के अंतर्गत स्वयं, पत्नी/ पति एवं बच्चों के मेडिक्लेम पॉलिसी की सालाना प्रीमियम या 15000 रुपए तक की आय में छूट प्राप्त की जा सकती है। साथ ही माता-पिता की मेडिक्लेम पॉलिसी की सालाना प्रीमियम या 15000 रुपए तक की भी अतिरिक्त छूट प्राप्त की जा सकती है। सीनियर सिटीजन होने की दशा में यह छूट 20000 रुपए तक प्राप्त की जा सकती है। यदि वित्तीय वर्ष में आपने उल्लेखित किसी भी पॉलिसी का प्रीमियम भुगतान किया है तो उसकी भी जानकारी जुटा लें। 



(डी) धारा 80-ई के तहत छूट- आयकर अधिनियम की धारा 80-ई के तहत व्यक्तिगत करदाता, शिक्षा लोन पर चुकाए गए ब्याज की राशि की आय में से छूट प्राप्त कर सकते हैं। यदि आपने उल्लेखित ब्याज का भुगतान किया है तो उसकी भी जानकारी जुटा लें। 



(ई) धारा 80-जी, 80-जीजीए, 80-जीजीसी- यदि आपने आयकर अधिनियम की धारा 80-जी, 80-जीजीए, 80-जीजीसी के तहत कोई दान दिया है तो उससे संबंधित दस्तावेज एवं जानकारी भी जुटा लें। 



3. टीडीएस सर्टिफिकेट- कमीशन, ब्याज, किराए आदि पर यदि कोई टीडीएस कटौती हुई हो तो संबंधित व्यक्ति से उसका टीडीएस सर्टिफिकेट प्राप्त कर लें।



4. एडवांस टैक्स- यदि वित्तीय वर्ष में आपने कोई एडवांस टैक्स जमा किया है तो उसकी जानकारी भी एकत्र कर लें।



5. एक्जेम्ट इनकम- विभिन्न आय जैसे सिक्यूरिटी पर लांग टर्म केपिटल गेन, डिविडेंट, खेती की आय (रु. 5000 से कम) आदि एक्जेम्ट इनकम की श्रेणी में आती है, परंतु इनकी जानकारी भी रिटर्न में देना होती है, अतः इससे संबंधित जानकारी भी आवश्यक रूप से एकत्र कर लें। 



6. बैंक डिटेल- यदि आप टैक्स रिफंड के जरिए प्राप्त करना चाहते हैं तो बैंक की जानकारी के अलावा एमआयसीआर कोड भी सही रूप में भरा जाना आवश्यक होता है, अतः बैंक की संपूर्ण जानकारी के साथ एमआयसीआर कोड की भी जानकारी जुटा लें। 



७. टैक्स की गणना- विभिन्न मदों से अर्जित आय/ लाभ/ हानि की गणना कर सकल आय निकाल लें। उसके बाद धारा 80-सी से 80-यू तक की छूट घटाकर शुद्ध आय की गणना करें एवं टैक्स स्लेब अनुसार टैक्स की गणना कर 3 प्रतिशत की दर से टैक्स पर एजुकेशन सेस जोड़कर शुद्ध टैक्स निकाल लें। यदि आप स्वयं आय एवं टैक्स की गणना करने में सक्षम नहीं हैं तो कर सलाहकार/ सीए की मदद ले सकते हैं।



8. टैक्स डिपॉजिट- शुद्ध टैक्स की गणना करने के बाद टीडीए कटौती एवं एडवांस टैक्स का समायोजन करें एवं इसके बाद भी कोई टैक्स बाकी हो तो आयकर अधिनियम के प्रावधान के तहत बैलेंस टैक्स की राशि जमा करा दें।